जब भी घर परिवार में किसी के विवाह की बात चलती है तो सबसे बात आती है कुंडली मिलाने की |कुंडली में विभिन्न ग्रहो और दशाओ को देखकर ही शादी का शुभ मुहूर्त निकाला जाता है | कुंडली से ही यह पता चलता है कि भविष्य में उनका रिश्ता कैसा रहेगा, कितना प्रेम रहेगा आदि और भी कई बाते होती है जो एक सुखी विवाह के लिए जरुरी होती है | लेकिन समस्या तब हो जाती है जब किसी के पास अपनी कुंडली नहीं होती है, ऐसी स्थिति में हमारी मदद हस्ताक्षर विज्ञान करता है | इस विज्ञान की मदद से यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि पति पत्नी का तालमेल कैसा रहेगा | इसमें हस्ताक्षर का मिलान किया जाता है बिलकुल कुंडली की तरह, तो आइये देखते है ये किस प्रकार काम करता है |
हस्ताक्षर की गति
हस्ताक्षर विज्ञान में पति पत्नी के हस्ताक्षर की गति देखी जाती है | हस्ताक्षर विज्ञान के अनुसार हस्ताक्षर व्यक्ति के साहस, बुद्धिमानी और रचनात्मकता को दर्शाता है | ये यह भी बताता है कि व्यक्ति जीवन में दायित्वों के प्रति कितना सजग है |
हस्ताक्षर का दबाव
हस्ताक्षर विज्ञान के अनुसार हस्ताक्षर करते समय लगाया गया दबाव व्यक्ति के स्वभाव के बारे में बताता है, ये व्यक्ति की कठोरता, संयमशीलता और इच्छाशक्ति को दर्शाता है |
हस्ताक्षर का आकार
इस विज्ञान में हस्ताक्षर का आकार ये बताता है कि दोनों में आपसी सूझबूझ कितनी है, यदि दोनों के हस्ताक्षर बड़े होते है तो ऐसे लोग एक दूसरे को बखूबी समझते है वहीँ अगर किसी भी एक का हस्ताक्षर छोटा होता है तो दोनों में तालमेल की कमी होती है | यदि दोनों के हस्ताक्षर बराबर होते है तो उनके बीच रिश्ता अच्छा होता है साथ ही कई मानवीय गुण भी होते है |
हस्ताक्षर का झुकाव
हस्ताक्षर विज्ञान के अनुसार यदि दोनों के हस्ताक्षर का झुकाव बायीं ओर होता है तो दोनों में नेतृत्व की क्षमता अच्छी होती है और यदि झुकाव दांयी और होता है तो दोनों ही मिलनसार किस्म के होते है | यदि दोनों के के हस्ताक्षर समान होते है तो ये दोनों के बीच असमानताओं को दर्शाता है |
हस्ताक्षर की स्पष्टता
हस्ताक्षर विज्ञान के अनुसार हस्ताक्षर की स्पष्टता का भी अपना अलग महत्व है | जिसके हस्ताक्षर स्पष्ट रूप से दिखाई देते है, समझ में आते है ऐसा व्यक्ति जीवन में अपने निर्णयों को लेकर पूरी तरह विश्वत रहता है | इसके अलावा यदि ऐसा नहीं होता हैं तो उनका जीवन खटपट भरा रहता है |